Thursday, May 4, 2023

जन्म दिन-रिद्धि-4मई2023

जन्म दिन की शुभकामनाएं रिद्धि ।

मिलें खुशियाँ, पूरीं हो आशाएँ रिद्धि ।।


खिली रहे मुस्कान तुम्हारी, 

मासूम चाहते, हों सब पूरी ।

बना रहे आशीर्वाद बडों का,

रहे न कोई कामना अधूरी ।।

बढती जाना जीवन पथ पर तुम,

होगी हर संकल्प की सिद्धि  ।।

जन्म दिन की शुभकामनाएं रिद्धि ।


जीना, बचपन को जी भर तुम,

जीवन के ये दिन होते निराले ।

न होता दुनिया का कोई दुख,

केवल होते होठों पर उजाले ।।

होते हैं ये पल-छिन अनमोल ; 

ये मधुर यादें ही होतीं, 

जीवन की असल उपलब्धि ।।

जन्म दिन की शुभकामनाएं रिद्धि ।


पढ लिख कर होशियार तुम बनना, 

ज्ञन-कर्म से अपने तुम

घर संसार को रोशन करना ।

संबल बने महादेव तुम्हारे,

हो सतत् आस्था में वृद्धि  ।

जन्म दिन की शुभकामनाएं रिद्धि ।

मिलें खुशियाँ, पूरीं हों आशाएं रिद्धि ।।







Friday, April 15, 2022

पोइला बोइशाख-डिगलीपुर-15 अप्रैल 2022

' जीवन में फिर ये नव वर्ष.. '

बिखरे तिनके फिर बटोर कर,
नीड का फिर निर्माण करें ।

प्राण फूंक इन हौसलों में हम,
इरादों को फौलाद करें ।।

आह्वान यही है लेकर आया,
जीवन में फिर ये नव वर्ष ।।


भूल कर कडवाहट सारी,
रिश्तों में फिर नई जान भरें ।

पल दो पल का साथ हमारा,
क्यों न इसको यादगार करें ।।

समेट कर इन सब पल छिन को,
जीवन को दें हम नव-उत्कर्ष ।।


कभी हैं खुशियाँ, कभी हैं आंसू,
जिंदगी के हैं, रंग निराले ।

नियति, सब ये है खेल खिलाती,
कुछ नही है बस में आज हमारे ।।

इम्तिहान चाहे जो ले लो,
हैं, हर पल हम तैयार सहर्ष ।।

जीवन में फिर ये नव वर्ष…



' पोइला बोइशाख ' और ' विशु'  की हार्दिक शुभकामनाएं..💐

Monday, September 28, 2020

जय सियाराम 10

 हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा ।

तेहि समेत नृप दल मद गंजा ।

बंदी बनकर राज्य सभा में आए हनुमानजी ने रावण को स्मरण कराते हुए कहा-  " हे रावण ! राजा जनक के धनुष यज्ञ में जो   धनुष बडे बडे राजाओं से हिल भी न सका था, उसे तिनके की भांति तोड देने वाले श्री राम को तुम भूल गए !"

खर दूषन त्रिसिरा अरू बाली ।

बधे सकल अतुलित बलसाली ।

जाके बल लवलेस तें, जितेहु चराचर झारि 

तासु दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ।।

"खर, दूषण, त्रिशिरा जैसे राक्षसों का उनकी चौदह सेना के साथ अकेले संहार करने वाले श्री राम को क्या तुम नहीं जानते ! 

तुम्हे अपनी कांख में दबाकर रखने वाले बालि को जिन्होंने एक ही बाण से मार डाला !

रावण ! उनके बाणों से लंका का विध्वंस हो जाएगा ।"

अपनी निर्भीक वाणी से  शत्रु पक्ष के मनोबल का पतन कर राजनीतिक  कुशलता का परिचय देने वाले अतुलित बल-बुद्धि के धनी हनुमान स्वामी महाराज आपके दुख हरें, प्रभु श्री राम की भक्ति का आशीर्वाद देकर आपका जीवन सफल करें, आपको अभयदान दें ।

🌷सियावर रामचंद्र की जय 🌷

जय सियाराम 9

 जाकें डर अति काल डेराई ।

जो सुर असुर चराचर खाई ।।

तासों बयरू कबहुँ नहिं कीजै ।

मोरे कहें जानकी दीजै ।। 

बंदी बनकर राज्य सभा में आने पर हनुमानजी ने रावण को समझाने का प्रयास करते हुए कहा-

 " रावण ! जो काल सारी दुनिया को निगल जाता है, वह काल भी उनसे (प्रभु श्री राम से) भयभीत रहता है, उनके अधीन रहता है । उनसे बैर करके तुम बच नही सकते ।"

प्ननतपाल रघुनायक करूणा सिंधु खरारि ।

गएँ सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि ।।

" तुम अपनी भूल सुधार कर प्रभु श्री राम की शरण में जाओ । वे तुम्हें क्षमा कर देंगे । वे शरणागत के सारे अपराध भूल जाते हैं ।इसी में तुम्हारा कल्याण है।"

अहंकार के वश में चूर रावण को, समस्त जगत के स्वामी प्रभु श्री राम की अपार शक्ति का बोध कराकर उनकी शरण में जाकर अपने जीवन को सार्थक करने का सन्मार्ग दिखाने वाले श्री हनुमान स्वामी महाराज आपको भी अहंकार, काम, क्रोध, लोभ, मोह के जाल से निकाल कर प्रभु श्री राम की भक्ति का आशीर्वाद दें, आपका जीवन सफल करें ।

🌷सियावर रामचंद्र की जय 🌷

जय सियाराम 8

 बंदी बनकर सभा में आए हनुमानजी ने रावण को सन्मार्ग दिखाते हुए समझाने का भरसक प्रयास किया: 

राम चरन पंकज उर आनहु ।

लंका अचल राजु तुम्ह करहु ।।

" रावण ! तुम बडे कुलीन हो । तुम्हारे पास अचल सम्पत्ति है, तुम बडे विद्वान हो और बलशाली हो । इन्हें पाकर अभिमान   मत करो । भगवान श्री राम की शरण में चलो। वे तुम्हें क्षमा कर देंगे ।"

पवनपुत्र ने ये सत्य भी सामने रखा:

सुन दसकंठ कहउं पन रोपी ।

बिमुख राम त्राता नहिं कोपी ।।

"श्री राम से बिमुख होने पर इस ब्रह्माण्ड में कोई तुम्हारी रक्षा नही कर सकता ।"

भौतिक बाहुबल, सम्पत्ति, और कथित भौतिक  विद्वता के नशे में चूर हम सभी पृथ्वी लोक वासियों को भगवान शिव के अंशावतार हनुमान स्वामी महाराज सन्मार्ग दिखाएँ, प्रभु श्री राम की भक्ति का प्रसाद दें, हमारे मनुष्य जीवन को सार्थक करें ।

 🌷सियावर रामचंद्र की जय 🌷

    (घर पर रहें-सुरक्षित रहें )

जय सियाराम 7

 श्री हनुमानजी ने अहंकारी रावण के समक्ष प्रभु श्री राम की शक्ति और भक्ति का वर्णन करते हुए उसे प्रभु की शरण मे जाने का आग्रह किया । लेकिन रावण ने उपहास कर, खीझते हुए उन्हें मारने का आदेश दिया । विभीषण ने आपत्ति जताई कि दूत को मारना नीति विरोध है और फिर अंत में रावण ने पूंछ जलाने की आज्ञा दी ।

 सुनकर हनुमानजी मुस्कुराए और गोस्वामी तुलसीदास ने इस दृश्य का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है :

बचन सुनत कपि मन मुस्काना ।

भइ सहाय सारद मैं जाना ।

रहा न नगर बसन घृत तेला ।

बाढी पूंछ कीन्ह कपि खेला ।।

हनुमानजी ने पूंछ इतनी बढा दी कि लंका में कपडा और घी या तेल बचा ही नही । पूंछ मे आग लगा दी गई और राक्षस उन्हें नगर में घुमाने लगे, बच्चे ताली पीटकर हंसने लगे । हनुमानजी ने यही सही अवसर समझा और फिर उछलकर एक महल से दूसरे महल पर जाकर उन्हे भस्म करने लगे । राक्षस प्राण बचाकर भागने लगे ।

हरि प्रेरित तेहि अवसर, चले मरूत उनचास ।

अट्टहास करि गर्जा कपि बढि लाग अकास ।।

 सारी लंका धू धू कर जलने लगी ।

उलटि पलटि लंका सब जारि ।

कूदि परा पुनि सिंधु मझारि ।।

प्रभु श्री राम की भक्ति से विमुख करने वाली हमारे चित्त की सारी नकारात्मक वृत्तियों को भस्म कर, ह्रदय  के सिंहासन पर श्री राम को विराजमान कर, पवनपुत्र हनुमानजी हमारा उद्घार करें..हमारे मन से कभी श्री राम का वनवास न हो..यह जीवन उनके चरणों में समर्पित हो, ऐसा वरदान दें..

🌷सियावर रामचंद्र की जय 🌷

जय सियाराम 6

 हनुमानजी ने,प्रभु श्री राम को लंका दहन और सीता मैया की खोज का पूरा वृत्तांत सुनाया। सुनकर प्रभु राम ने भावाकुल होकर कहा कि" संसार में तुम्हारे समान उपकारी कोई नही है। इसके बदले मैं तुम्हें क्या दे सकता हूँ! मै तो तुम्हारे सम्मुख देख भी नही सकता ।" गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं:  ब्रह्माण्ड के स्वामी के मुख से यह सुनकर हनुमानजी,

सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख, गात हरषि हनुमंत 

चरण परेउ प्रेमाकुल, त्राहि त्राहि भगवंत ।।

व्याकुल होकर उनके चरणों में गिर पडे और प्रेम मग्न हो गए । प्रभु श्री राम ने बलात् उन्हें उठाकर ह्रदय से लगाया और अनन्य भक्ति का वरदान दिया। 

प्रभु राम ने पूछा कि हनुमान तुमने कैसे रावण की मजबूत सुरक्षित लंका में घुसकर उसका दहन किया? यह सुनकर हनुमानजी ने अभिमान रहित वचन कहे: 

साखामृग कै बडि मनुसाई ।

साखा तें साखा पर जाई।।

नाहि सिंधु हाटकपुर जारा ।

निसिचर गन बधि बिपिन उजारा ।।

सो सब तव प्रताप रघुराई ।

नाथ न कछु मोरि प्रभुताई ।।

" वानर का स्वभाव तो केवल एक डाल से दूसरी डाल तक कूदना भर है। समुद्र लांघ कर सोने का नगर जलाना तथा राक्षसों को मारकर अशोक वन को उजाडना, यह सब तो आपका ही प्रताप है। इसमे मेरी कुछ प्रभुता नही है। प्रभु जिस पर आप प्रसन्न हों, उसके लिए कुछ भी अगम नही है।"

हनुमानजी ने आगे कहा:

नाथ भगति अति सुखदायनी ।

देहु कृपा करि अनपायनी।।

"हनुमानजी ने प्रभु से निश्छल भक्ति मांगी ।"

और भगवान ने 

"सुनि कपि परम सरल कपि बानि।

एवमस्तु तब कहेउ भवानी ।।"

सहर्ष 'एवमस्तु ' कहा ।

अपने सम्पूर्ण पुरुषार्थ के फल का श्रेय विनीत भाव से प्रभु श्री राम को देने वाले, निरंतर राम भक्ति मे लीन रहकर सबका कल्याण करने वाले, अयोध्या के हनुमान गढी के राजा संकट मोचन स्वामी हमें  विपत्तियों से पार पाने का संबल प्रदान करें, राम नाम के रसायन से  सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें, यही याचना करते हैं ।

🌷सियावर रामचंद्र की जय 🌷